ईरान और इज़राइल के युद्ध में भारत किसका साथ देगा?
भारत की विदेश नीति, रणनीतिक हित, और भविष्य की संभावना के आधार पर आधारित हैं ...
🇮🇳 भारत की नीति: "रणनीतिक संतुलन" (Strategic Balance)
भारत की विदेश नीति का मूल सिद्धांत है:
👉 "Non-alignment" यानी किसी एक गुट का खुला समर्थन न करना,
👉 लेकिन अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देना।
🤝 भारत और इज़राइल के संबंध:
रक्षा सहयोग बहुत गहरा है – भारत इज़राइल से ड्रोन, मिसाइल सिस्टम (जैसे बराक-8), साइबर टेक्नोलॉजी, और इंटेलिजेंस सहयोग लेता है।
इज़राइल भारत का भरोसेमंद सैन्य सप्लायर है, खासकर पाकिस्तान और चीन की चुनौतियों के लिए।
दोनों देश आतंकवाद के खिलाफ एक जैसी सोच रखते हैं।
इसलिए: इज़राइल भारत का करीबी सुरक्षा साझेदार है।
🤝 भारत और ईरान के संबंध:
ऊर्जा का बड़ा स्रोत: भारत ईरान से लंबे समय तक सस्ता कच्चा तेल खरीदता रहा है।
चाबहार पोर्ट प्रोजेक्ट: भारत ने ईरान में अरब सागर से सेंट्रल एशिया तक व्यापार के लिए बंदरगाह विकसित किया है – ये भविष्य की रणनीतिक चाबी है।
ईरान अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया तक भारत के संपर्क का द्वार है।
इसलिए: ईरान भारत के लिए भौगोलिक और आर्थिक रूप से अहम है।Israel Iran War:
🌐 अगर युद्ध होता है तो?
भारत शायद इन 3 स्टेप्स पर चलेगा:
1. निष्पक्ष अपील करेगा: युद्ध बंद करने और बातचीत की मांग।
2. कूटनीतिक संतुलन रखेगा: दोनों देशों से संपर्क बनाए रखेगा।
3. खुले समर्थन से बचेगा: क्योंकि भारत किसी एक पक्ष का साथ देगा, तो दूसरा नाराज़ हो सकता है – जो भारत के हितों को नुकसान पहुँचा सकता है।
🧭 निष्कर्ष (Conclusion):
👉 भारत शायद किसी का खुला साथ नहीं देगा।
👉 लेकिन रक्षा में इज़राइल के करीब रहेगा, और भू-रणनीतिक मामलों में ईरान से दूरी नहीं बनाएगा।
👉 भारत का लक्ष्य रहेगा – क्षेत्रीय स्थिरता और अपने नागरिकों और ऊर्जा हितों की सुरक्षा।
🎙️ "तो दोस्तो, क्या भारत को खुलकर किसी एक पक्ष का समर्थन करना चाहिए, या संतुलन की नीति ही सही है? अपनी राय नीचे कॉमेंट में बताएं। और ऐसे ही अंतरराष्ट्रीय विश्लेषण के लिए चैनल TimesOfUncover को सब्सक्राइब जरूर ।
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