:Axiom Mission 4 में भारत का अहम कदम:
इसने क्रू ड्रैगन ग्रेस को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करने के लिए स्पेसएक्स फाल्कन 9 ब्लॉक 5 रॉकेट का इस्तेमाल किया। यह C213 अंतरिक्ष यान ग्रेस की पहली उड़ान है , जो निर्मित होने वाला पांचवां और अंतिम क्रू ड्रैगन है।
एक्सिओम-4 मिशन का चालक दल कौन है?
कमांडर पैगी व्हिटसन के नेतृत्व में अंतरिक्ष दल एक नए स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान पर सवार होकर परिक्रमा करने वाली प्रयोगशाला की यात्रा के लिए तैयार है।
मिशन पायलट के रूप में शुभांशु शुक्ला और मिशन विशेषज्ञ के रूप में हंगरी के अंतरिक्ष यात्री टिबोर कापू और पोलैंड के स्लावोज़ उज़्नान्स्की-विस्निएव्स्की के साथ , अंतरिक्ष यान 26 जून को लगभग सुबह 7 बजे पूर्वी समय, यानी शाम 4.30 बजे आई.एस.एस. पर पहुंचेगा।
भारत के लिए क्यों है खास:
भारतवासी बुधवार को 41 साल बाद अंतरिक्ष यात्रा में एक बार फिर से गौरवशाली पलों का गवाह बना। एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आइएसएस) के लिए अंतरिक्ष यात्रियों ने उड़ान भरी, जिनमें भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन व अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला भी शामिल थे।
दिल्ली में बना एक्सिओम-4 मिशन बैज पहनकर शुभांशु ने भरी अंतरिक्ष की उड़ान
खास बात यह है कि शुभांशु की इस ऐतिहासिक यात्रा के लिए एक्सिओम-4 मिशन बैज को दिल्ली के प्रसिद्ध डिजायनर मनीष त्रिपाठी ने बनाया है। इसमें आर्यभट्ट की विरासत से चंद्रयान की विजयगाथा तक के प्रतीक इस्तेमाल किए गए हैं।
🛰️ क्या है Axiom Mission 4?
25 जून 2025 को अमेरिका के फ्लोरिडा से SpaceX के Falcon 9 रॉकेट के ज़रिए, Axiom Mission 4 अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए रवाना हुआ।
शुभांशु शुक्ला कौन हैं?
शुभांशु भारतीय वायुसेना के अफसर हैं, और ISRO के गगनयान मिशन के लिए चयनित 4 एस्ट्रोनॉट्स में से एक हैं।
Axiom के साथ उनकी उड़ान भारत और विश्व के बीच बढ़ते स्पेस कोऑपरेशन का प्रतीक है।
अंतरिक्ष में क्या करेंगे वैज्ञानिक:
इस मिशन में 60 वैज्ञानिक प्रयोग होंगे – जिनमें से 7 भारत के हैं:
मांसपेशियों पर सूक्ष्मगुरुत्वाकर्षण का असर,माइक्रो-एल्गी की ग्रोथ,
,पौधों का व्यवहार,और इंसान व मशीन के बीच इंटरैक्शन का अध्ययन और रिसर्च करेंगे ।
✨ निष्कर्ष:
Axiom Mission 4 एक बहुराष्ट्रीय और निजी-कामर्श अंतरिक्ष मिशन है, जिसमें शुभांशु शुक्ला की प्रमुख भूमिका भारत को नए स्पेस सफर की ओर ले जाती है। ISS पर उनके वैज्ञानिक प्रयोग भारत की स्पेस तकनीक को और ऊँचाइयों पर ले जाने की नींव रखेंगे — खासकर Gaganyaan जैसे भविष्य के मिशनों के लिए।
इस मिशन का समापन लगभग दो सप्ताह (14 दिन) बाद होगा, जब क्रू वापस पृथ्वी पर लौटेगा।
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