G7 में भारत का समझौता ? India In G-7 2025

भारत G7 (51वां) सम्मेलन में निमंत्रित सहयोगी (Outreach Guest) के रूप में शामिल हुआ, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गूढ़ कूटनीतिक वार्ताओं और वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका को सामने लाया।
G-7 में भारत की भूमिका ?


🇮🇳 भारत की भागीदारी और उद्देश्य

प्रधानमंत्री मोदी छहवां लगातार G7 सम्मेलन में भाग लेने वाले नेता बने, जो कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी द्वारा आमंत्रित थे ।

मोदी ने सम्मेलन के Outreach session में वैश्विक दक्षिण (Global South) के मुद्दों — जैसे ऊर्जा सुरक्षा, तकनीकी नवाचार (AI‑energy nexus), क्वांटम टेक्नोलॉजी — को प्रमुखता से उठाया ।

उन्होंने कहा कि “आतंकवाद मानवता का दुश्मन है” और सभी देशों को आतंक समर्थकों के खिलाफ स्पष्ट कार्रवाई करनी चाहिए ।

🔗 द्विपक्षीय वार्ताएँ

प्रधानमंत्री मोदी ने G7 के बाहर कई नेताओं के साथ महत्वपूर्ण द्विपक्षीय वार्ताएँ कीं:

कनाडा (से साथ Mark Carney):

तनावपूर्ण रिश्तों को सुधारने और उच्चायुक्तों को बहाल करने सहमति।
ऊर्जा, तकनीक, खाद्य सुरक्षा, डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर और महत्वपूर्ण खनिजों में सहयोग पर चर्चा ।

जर्मनी (Bundeskanzler Merz):

आतंकवाद से मुकाबले और आतंक वित्तपोषण पर सहयोग पर जोर 

मैक्सिको (Claudia Sheinbaum):

फार्मास्यूटिकल्स, विज्ञान–तकनीक, डिजिटल नवाचार पर सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा ।

दक्षिण कोरिया (Lee Jae‑myung):

शिपबिल्डिंग, ग्रीन हाइड्रोजन, प्रौद्योगिकी, निवेश आदि क्षेत्रों में साझेदारी विस्तार की घोषणा ।
साथ ही इटली, फ्रांस, यूके, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ़्रीका जैसे अन्य G7 नेताओं के साथ भी मोदी ने संवाद किया ।

📌 सारांश

मुख्य पहल विवरण- 

भारत की भागीदारी छठा लगातार स्वागत — वैश्विक दक्षिण व वैश्विक मुद्दों को प्रमुखता से उठाया
मिशन तकनीकी नवाचार, आतंकवाद विरुद्ध साझा दृष्टि और ऊर्जा सुरक्षा पर वैश्विक सहयोग
महत्वपूर्ण द्विपक्षीय वार्ता कनाडा के साथ राजनयिक बहाली, टेक्नोलॉजी व एनर्जी साझेदारी; अन्य लीडर्स के साथ रक्षा, स्वास्थ्य व तकनीक सहयोग।

भारत ने G7 मंच का लाभ लेते हुए अपनी वैश्विक कूटनीतिक जड़ें मजबूत कीं और तकनीक, आतंकवाद, ऊर्जा एवं विकास जैसे क्षेत्रों में सक्रिय सहयोग की दिशा में कदम बढ़ाया।




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